नाकोड़ा जैन तीर्थ से पूर्व की ओर जसोल - बालोतरा जाने वाले पक्के सड़क मार्ग पर करीब दो किलोमीटर दूर ‘श्री नाकोड़ा पार्श्वनाथ जैन ज्ञानशाला’ का आधुनिक वास्तु शास्त्र के अनुसार बंशीपाट के लाल पाषाण का भवन बना हुआ है। जिसमें तीर्थ की तरफ से जैन छात्रों के साथ अन्य अजैन छात्रो को जैन धार्मिक शिक्षा देने की समुचित व्यवस्था है। यहाँ जैन धार्मिक शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों के लिये आवास, भोजन, वस्त्र, स्टेशनरी आदि सभी प्रकार की सुविधाएं निःशुल्क तीर्थ की तरफ से की जा रही है।
जैन तीर्थ नाकोड़ा की तरफ से ‘श्री नाकोड़ा पार्श्वनाथ जैन ज्ञान मंदिर’ का शुभारम्भ वि.सं. 2052 वैशाख शुक्ला 7 गुरूवार 25 अप्रैल 1996 को किया गया। इससे पहले यह ज्ञानशाला वि.सं. 2003 में आचार्य श्री विजय मंगल प्रभसूरीश्वरजी ने सिरोही जिले के शिवगंज में ‘श्री वर्धमान तत्वज्ञान प्रचारक विधालय’ नाम से स्थापित किया था। आप श्री का कालधर्म होने के पश्चात् करीबन पाँच वर्ष तक बन्द होने के बाद आपके प्रशिष्य मुनि श्री रैवतविजयजी ने इस ज्ञानशाला को शिवगंज से तखतगढ़ वि.सं. 2047 ज्येष्ठ शुक्ल 13 सोमवार 24 जून 1991 को ले आये। यहाँ कुछ वर्ष तक इसे चलाने के बाद श्री जैन श्वेताम्बर नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ मेवानगर (नाकोड़ा) में वि.सं. 2052 में स्थानान्तरित कर दिया। तब से तीर्थ द्वारा इसे व्यवस्थित रूप से चलाया जा रहा है। प्रारम्भ में 23 छात्रों से नाकोड़ा तीर्थ ने इसे आरम्भ किया। दस वर्ष की जैन धार्मिक शैक्षणिक यात्रा करते हुए अब यहाँ 170 छात्र पढ़ रहे है। श्री नाकोड़ा पार्श्वनाथ जैन ज्ञानशाला के लिये तीर्थ की तरफ से दो मंजिला बीस कमरों, कई हॉलो, भोजन, संगीत, ध्यान, जाप आदि के कक्ष बने हुए है। भवन में आवश्यक सभी प्रकार की साधन सुविधाओं के साथ छात्रों के लिये आवश्यक फर्नीचर आदि भी मुहैया करवा रखा है। इस जैन धार्मिक ज्ञानशाला में जैन धर्म संस्कृति सम्बंधी शिक्षा में प्रतिक्रमण सूत्रों का रहस्य, देवपूजन, कर्मवाद, जैन तत्वज्ञान, नवतत्व, जैन इतिहास, जीवन जीने की कला, जैन आचार, जैन महाभारत, चौबीस तीर्थन्कर आदि के साथ - साथ जैन धर्म की सूक्ष्म जानकारियों से छात्रों को अध्ययन करवाया जाता है। यहाँ अध्ययनरत छात्रों को प्रोत्साहन के रूप में स्कोलरशिप आदि देने की समुचित व्यवस्था है। इसके अतिरिक्त यहाँ के छात्रों को देश के कई भागों मे जैन धार्मिक पूजाएं, प्रतिष्ठाएं, धार्मिक अनुष्ठान, पर्व आयोजन, पूजन- महापूजन, अठारह अभिषेक आदि करवाने के साथ - साथ पर्युषण पर्व मनाने के लिये भी भेजा जाता है।
इस ज्ञानशाला में सर्वाधिक गुजरात प्रदेश के छात्रो के अतिरिक्त, राजस्थान, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश आदि क्षेत्रों से भी छात्र जैन धार्मिक शिक्षा ग्रहण करने को आते है। जैन धर्मावलम्बी छात्रों के अतिरिक्त यदि अजैन छात्र जैन धार्मिक शिक्षा ग्रहण करने को इच्छुक हो तो उसे भी यहाँ पढ़ने की समुचित निःशुल्क सुविधा तीर्थ की तरफ से मुहैया करवाई जाती है। अब तक इस ज्ञानशाला से जैन धार्मिक शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र अच्छे जैन धार्मिक शिक्षक, परीक्षक, उपदेशक, विधिकारक आदि बनकर जैन शासन की अनुपम सेवा करते हुए अपने पाँवों पर खड़े होकर आनन्द का जीवन यापन कर रहे है। कई छात्र जैन भगवती दीक्षा स्वीकार करते हुए आत्मकल्याण के पथ पर आरूढ़ हो गये है। नाकोड़ा जैन तीर्थ द्वारा संचालित यह ज्ञानशाला जैन शासन की अमूल्य धरोहर है।