जैन तीर्थ नाकोड़ा परिसर में प्राचीन व नई श्री भैरव भोजनशाला के समीप उत्तराभिमुख किये श्री महादेवजी का छोटा मंदिर बना हुआ है। इस मंदिर का निर्माण तीर्थ की तरफ से धार्मिक समन्वय के साथ - साथ तीर्थ का साध्वी श्री सुन्दरश्रीजी द्वारा वि.सं. 1960 से जीर्णोद्धार करवाने से करीबन एक सौ वर्ष से अधिक पहले बनाने का बताया जा रहा है। उस समय तीर्थ स्थित प्राचीन जीर्ण - शीर्ण जैन मंदिरों के चारों तरफ जंगल फैला हुआ था। इस भयंकर जंगल में लोगो को भूतों का भय रहता था। इस भय से मुक्ति पाने के लिये भक्तों ने श्री महादेवजी का धार्मिक स्थान स्थापित किया, जिसने विकास के बढ़ते हुए मंदिर का स्वरूप ले लिया । भूतों के भय से मुक्ति हेतु बना श्री महादेव जी का मंदिर आज श्री भूतेश्वर महादेव जी मंदिर के नाम से परिचायक बना हुआ है ।
श्री भूतेश्वर महादेवजी के इस मंदिर में दो श्री शिवलिंग स्थापित है। जिसके पीछे की ओर पांच श्वेत संगमरमर की प्रतिमाएं प्रतिष्ठित है। इन पाँच प्रतिमाओं में मध्य में श्री गणेश जी एव आजू - बाजू श्री पार्वती जी व श्री गणेशजी एवं श्री पार्वतीजी व श्री कार्तिकेयजी की मूर्तियाँ है। इन मूर्तियों के अतिरिक्त मंदिर की प्राचीर में बने गोखो (आलो) में श्री जोगमायाजी की एवं श्री हनुमानजी की मूर्ति भी विराजमान की हुई है। श्री जोगमाया जी (श्री जगदम्बा माताजी) की मूर्ति के समीप सफेद रंग की श्री भैरवदेवजी की मूर्ति भी विद्यमान है। जिसे लोग श्रद्धा से श्री धोलिया (सफेद) भैरवदेवजी के रूप में पूजते है। जबकि कई भक्तगण इसे श्री भोमियाजी का स्वरूप मानते हुए श्रद्धापूर्वक पूजते हैं इस मंदिर की सम्पूर्ण देखरेख, व्यवस्था आदि मंदिर के आरम्भ से लेकर लगातार श्री जैन श्वेताम्बर नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ ट्रस्ट मण्डल मेवानगर (नाकोड़ा) द्वारा की जा रही है।