नाकोड़ा जैन तीर्थ की पश्चिमी श्री नेमिनाथ टूंक पहाड़ी पर सिद्ध पुरूष राव श्री मल्लीनाथ जी की धर्मपत्नी राणी रूपादेजी का देवल बना हुआ है। जिसे वि.सं. 2022 में इस क्षेत्र की धार्मिक महत्ता एवं धार्मिक समन्वय की दृष्टि से बनाया गया था। पूर्व में यह स्थल खण्डहरो के बीच साधारण चबूतरे के रूप में विद्यमान था। जिसे राणी रूपादे देवी का प्रतीक स्थल स्वरूप पूजा जाता था। इस चबूतरे के स्थान पर गुरू श्री अमरनाथजी ने जनसहयोग से छोटे से देवल हेतु कमरे का निर्माण वि.सं. 2058 में करवाया। जिसके पास ही पुजारी के लिये एक कमरा बना दिया। राणी रूपादे देवी के देवल में राणी रूपादे माँ की मूर्ति स्थापित करने के लिये मेवानगर के महेचा ठाकुर श्री चतरसिंह की धर्मपत्नी श्रीमति सायर कंवर भटियाणी ने मूर्ति बनाकर भेंट की है। इस राणी रूपादे देवी के देवल के दर्शन करने के लिये जमीन तल से 222 सीढियां चढनी पड़ती है। राणी रूपादे देवी के देवल से 190 सीढियो की चढाई पर दादाश्री की टूंक (दादाश्री जिनकुशलसूरिजी की दादावाडी) और उससे 118 सीढियों की चढ़ाई पर श्री नेमिनाथ जी टुंक के दर्शन होते है। राणी रूपादे देवी के देवल पर प्रतिवर्ष चैत्र, आसोज व भादवा सुदी दूज एवं चैत्री नवरात्रि में  जनसमुदाय विषेश रूप से दर्शन करने आते है। वैसे भी नाकोड़ा जैन तीर्थ की यात्रा पर आने वाले यात्री जब श्री नेमिनाथजी टूंक के दर्शन करने जाते है तो पहाड़ी पर सबसे पहले राणी रूपादे देवी के देवल पर अपनी धोक देते है। इस देवल तक बिजली आदि की व्यवस्था में श्री जैन श्वेताम्बर नाकोडा पार्श्वनाथ तीर्थ ट्रस्ट मंडल मेवानगर (नाकोड़ा) का सहयोग रहता है। पहाड़ी पर सीढियों के निर्माण के बाद रख रखाव का कार्य भी तीर्थ द्वारा किया जाता है।