जैन तीर्थ नाकोड़ा से जसोल - बालोतरा की तरफ जाने वाले सड़क मार्ग पर तीर्थ द्वारा संचालित ‘श्री नाकोड़ा पार्श्वनाथ जैन ज्ञानशाला’ परिसर में बने श्री पार्श्वनाथ चतुर्मुख जिनालय के समीप पश्चिम की ओर ज्ञानशाला में ज्ञान अर्जित करने वाले छात्रों के लिए जैन आराधना मंदिर का निर्माण करवाया गया है। जिसमें एक साथ एक सौ से अधिक दर्शन - यात्री - छात्र आदि बैठकर आराधना कर सकते है। जैन तीर्थ नाकोड़ा की तरफ से बने श्वेत संगमरमर के इस विशाल हॉलनुमा आराधना मंदिर में श्री नाकोड़ा पार्श्वनाथ भगवान की श्यामवर्णी मूर्ति प्रतिष्ठित की गई है। जिसमें आजू - बाजू भी श्वेत संगमरमर की श्री पार्श्वप्रभु की प्रतिमाओं को प्रतिष्ठित किया गया है। इन तीनों प्रतिमाओं के पीछे सुन्दर परिकर बना हुआ है। इस विशाल हॉलनुमा मंदिर की पूर्व प्राचीर के छतरीनुमा गोख में श्री पार्श्वयज्ञ की श्वेत एवं पीले पाषाण की श्री भैरवजी की प्रतिमाएं एवं ठीक इसके सामने पश्चिमी प्राचीर के गोख में श्री चक्रेश्वरी देवी व श्री पद्मावती देवी की प्रतिमाएं प्रतिष्ठित की हुई है। इन्हीं गोखो के समीप दोनो ओर बने गोखो में श्री पुण्डरीक स्वामीजी एवं श्री गौतम स्वामीजी की प्रतिमाएं भी प्रतिष्ठित की हुई है। उत्तराभिमुख बने श्री नाकोड़ा ज्ञानशाला आराधना मंदिर की प्रतिष्ठा वि.सं. 2062 मृगशीर्ष सुदी 7 बुधवार 7 दिसम्बर 2005 को जैनाचार्य श्री कलाप्रभ सागरसूरीश्वरजी एवं गणाधीश उपाध्याय श्री कैलाश सागरजी ने भव्य धार्मिक समारोह के बीच सम्पन्न करवाई। इस आराधना मंदिर के पूर्व की ओर श्री ज्ञानशाला का चतुर्मुख श्री पार्श्वनाथ जैन मंदिर एवं ज्ञानशाला का भवन बना हुआ है।