श्री जैन श्वेतांबर नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ की तरफ से तीर्थ के प्रमुख सूरजपोल के आगे दक्षिण की ओर भैरव बाँध के समीप विशाल समवसरण जैन मंदिर बनाया जा रहा है, जिसका निर्माण कार्य चालू है। यह समवसरण जैन मंदिर 325 x 325 फीट वाले विशाल भूखण्ड पर निर्मित हो रहा है। जो सड़क मार्ग से 21 फीट गहरी नींव पर बनाया जा रहा है। इसकी नींव से ध्वजा तक की ऊचाँई 175 फुट की है जबकि भूमितल से यह 151 फुट ऊँचा बनाया  है। इस समवसरण जैन मंदिर का नक्शा सिद्ध वस्तुशिल्प (सोमपुरा) श्री चन्दुभाई ने बनाया है और गुजरात के ध्रान्ग्रधा के ठेकेदार मैसर्स छगनलाल रेवाशंकर सोमपुरा इसका निर्माण कार्य कर रहे है। जैनाचार्य श्री सुशील सुरीश्वरजी की  प्रेरणा से किया गया था।

 

समवसरण जैन मंदिर के शिलान्यास समारोह के बाद से बंशीपाट के गुलाबी पत्थर से इसका निर्माण कार्य करवाया गया है।  इस समवसरण जैन मंदिर में सम्पूर्ण रूप से आधुनिक वैज्ञानिक पद्धति से जैन साहित्य, कला, संस्कृति को भव्य रूप से दिग्दर्शन करवाया जायेगा। समवसरण मंदिर का हर कक्ष जैन धर्म की मूर्तिकला के साथ - साथ जैन पूजा पद्धति पर आधारित रहेगा।

 

तीन गढ वाले विशाल समवसरण जैन मंदिर के ऊपरी भाग पर चौमुखी जैन तीर्थन्कर प्रतिमाएं प्रतिष्ठित की गई है, जिस पर विशाल अशोक - शाल वृक्ष बनाया गया। समवसरण जैन मंदिर के आंतरिक भाग में संगमरमर के पाषाणों का उपयोग किया गया। वैसे भी बंशीपाट वाले गुलाबी पाषाणों पर कई प्रकार की सुन्दर शिल्पकलाकृतियाँ कुरेदी गई है। 

 

नाकोड़ा जैन तीर्थ में निर्माणाधीन समवसरण जैन मंदिर के पूरा बनने के बाद यह अपने प्रकार का अद्वितीय, अनोखा, अद्भुत, आकर्षण का दर्शनीय एवं पूजनीय स्थल होगा जिसमें जैन संस्कृति की झलक दिखाई देती हैं।