आर्थिक दृश्टि से कमजोर, जरूरतमंद सधर्मी जैन भाई - बहिनों को प्रतिमास सन् 1979 - 80 से आर्थिक सहयोग देने की नियमानुसार व्यवस्था की जाती रही है। इस समय इससे करीब 450 से अधिक जैनबन्ध लाभान्वित हो रहे है। इसके साथ ही जहां - जहां आर्थिक दृश्टि से कमजोर जैन बन्धु है वहां की संस्थाएं इस सम्बंध में कार्य कर रही है उनके माध्यम से भी आर्थिक सहायता एवं सामग्री देने की व्यवस्था तीर्थ की तरफ से की जाती रही है।
जैन धर्मावलम्बियों सहित अन्य अजैन भाई - बहनों को चिकित्सा सुविधा, मंदबुद्धि बालको के विकास, विकलांगो को सहायता आदि करने वाली कई संस्थाओं को तीर्थ की तरफ से आर्थिक सहयोग देकर मानव सेवा का अनुकरणीय कार्य किया जाता रहा है। इसके अतिरिक्त प्राकृतिक विपदा अकाल, महामारी, तूफान, अतिवृश्टि, बाढ, आगजनी, भूकम्प आदि से ग्रसित लोगो को तीर्थ की तरफ से अधिकाधिक सहयोग देने का प्रयास रहा है। विषेश रूप से कच्छ (गुजरात) भूकम्प के समय पीड़ित जैन धर्मावम्बियों के लिये मकान बनाकर देने व आर्थिक मदद मुहैया करवाई गई। वहां अजैन भूकम्प पीड़ितों के लिये नाना प्रकार की आवष्यक वस्तुएं उपलब्ध करवाई।
राश्ट्रीय संकट युद्ध के दौरान देष की सुरक्षा के लिये भी जैन तीर्थ नाकोड़ा ने राश्ट्रीय सुरक्षा कोश, प्रधानमंत्री - मुख्यमंत्री सहायता कोश के अतिरिक्त राश्ट्रीय एवं मानव सेवा के लिये धनराषी दी। कारगिल युद्ध में मेवानगर के षहीद भंवरसिंह राठौड़ की स्मृति में षहीद स्मारक बनाने में भी तीर्थ ने पूरी मदद की।