जैन धर्म का व्यापक स्तर पर देष के कौने - कौने में अपने उपदेषों के माध्यम से प्रचार करने के लिये जैनाचार्य, जैन साधु - साध्वियों का पद विहार करते है। इनके पद विहार के समय मार्ग में अस्थाई आवास की जहां कही स्थान उपलब्ध हो जाय वहां प्रवास करते है। वैसे आमतौर पर देष के विभिन्न क्षेत्रो में जैन साधु-साध्वियों के पद विहार के बीच रास्ते में अस्थाई प्रवास हेतु जगह मिल जाती है लेकिन पष्चिमी राजस्थान के सीमावर्ती रेगिस्तानी बाड़मेर-जैसलमेर जिलो में लम्बा मार्ग एवं बस्ती के अभाव में जैन साधु-साध्वियों को पद विहार के समय मार्ग में अस्थाई आवासीय सुविधा की कठिनाईयां होती है। अक्सर बाड़मेर जिले में स्थित जैन पंचतीर्थी के दर्षन, यात्रा करने में जैन साधु-साध्वियों को सड़क मार्ग पर अस्थाई आवास व्यवस्था की कठिनाई होती थी। इस गम्भीर समस्या को मिटाने के लिये श्री जैन ष्वेताम्बर नाकोड़ा पार्ष्वनाथ तीर्थ ट्रस्ट मंडल ने बाड़मेर जिले में माजीवाड़ा, थापन, मवडी, सिमरखिया, सरवड़ी, भूखा, सणपा, मगने की ढाणी, कुड़ला, हरसाणी फांटा, आगोरिया, भाड़खा, देवका, खुड़ाला, बाछडाऊ, धोरिमन्ना फांटा, दूधवा एवं जैसलमेर जिले के डाबला मे नाकोड़ा विहार धाम का निर्माण कर रखा है।
जब कभी भी कोई जैन साधु - साध्वी अहमदाबाद से बाड़मेर, जोधपुर से बाड़मेर, जैसलमेर से बाड़मेर, जालोर से बाड़मेर जिले के जैन तीर्थ नाकोड़ा की यात्रा पर पद विहार करते हुए आते जाते है तो सड़क मार्ग पर इनके अस्थाई प्रवास के लिये नाकोड़ा विहार धाम तीर्थ ने बनाकर जैन धर्मगुरूओं के लिये सुविधा कर रखी है। ऐसी सुविधा यदि अन्यत्र करने की आवष्यकता होती है तो श्री जैन ष्वेताम्बर नाकोड़ा पार्ष्वनाथ तीर्थ ट्रस्ट मण्डल नाकोड़ा विहार धाम बनाने की अगवाही करने में कदापि पीछे नहीं रहता है।